जम्मू-कश्मीर , 5 Mar : दिसंबर और जनवरी में शुष्क मौसम के साथ अब अनुकूल सर्दी का मौसम आ गया है, जिसमें पहले फरवरी के आखिरी सप्ताह में और अब मार्च के पहले सप्ताह में भारी बर्फबारी हुई है. लेकिन, जैसे-जैसे सूरज फिर से चमकने लगा है. हिमस्खलन का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है. खासकर उत्तर और मध्य कश्मीर के गुरेज, बांदीपोर, कुपवाड़ा, बारामुल्ला और गांदरबल जिलों के इलाकों में हिमस्खलन का खतरा मंडरा रहा है.
जम्मू-कश्मीर के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि गंदेरबल, बारामुल्ला, पुंछ, राजौरी, रियासी में 2500 मीटर से ऊपर मध्यम खतरे के स्तर का हिमस्खलन होने की संभावना है वहीं सोमवार को गांदरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में जीरो पॉइंट और जोजिला दर्रे के बीच एक छोटा हिमस्खलन हुआ. सौभाग्य से हिमस्खलन शून्य आबादी वाले क्षेत्र में हुआ और बर्फबारी के कारण लोगों की आवाजाही नहीं हो रही थी और किसी के हताहत होने या घायल होने की खबर नहीं है.
मंगलवार को मामूली हिमस्खलन के बाद अधिकारियों ने अगले 24 घंटों में गंदेरबल में 2300 मीटर से ऊपर मध्यम खतरे के स्तर के हिमस्खलन की संभावना के बारे में फिर से चेतावनी दी थी और आज सोनमर्ग के सरबल गांव में श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर एक बड़ा हिमस्खलन हुआ, जहां फोर-लेनिंग परियोजना और ज़ोजिला सुरंग परियोजना पर काम कर रहे निर्माण श्रमिक बर्फ की चपेट में आ गए.
जब हिमस्खलन हुआ, तो उस समय की हलचल कैमरे में कैद हो गई, क्योंकि ह्यूग पर्वत से भारी मात्रा में बर्फ राजमार्ग की ओर बढ़ रही थी, जहां दो वाहनों में सवार श्रमिक फंस गए. हिमस्खलन बुधवार सुबह करीब 10 बजे हुआ और सौभाग्य से किसी के हताहत होने या बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है.
पिछले दो हफ्तों से कश्मीर में भारी बर्फबारी हो रही है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते तापमान के साथ इतनी भारी मात्रा में बर्फबारी से बर्फ की परतें पिघल जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिमस्खलन होता है, जिससे पहाड़ों से बहुत ज़्यादा बर्फ तेज़ी से नीचे गिरती है और रास्ते में सब कुछ नष्ट हो जाता है. 28 फरवरी को, शुक्रवार दोपहर को विश्व प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग के कांगडोरी में अफरावत चोटी पर एक बड़े हिमस्खलन की घटना कैमरे में कैद हुई.
अफरावत चोटी पर कांगडोरी में भारी हिमस्खलन के बाद बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया गया, क्योंकि वहां पर्यटकों और स्कीयरों की भीड़ थी.
सौभाग्य से किसी के घायल होने या बुनियादी ढांचे को नुकसान होने की सूचना नहीं मिली, लेकिन सर्दियों के अंत में इतनी भारी बर्फबारी के कारण और अधिक हिमस्खलन का खतरा मंडरा रहा है.
मौसम विभाग ने भी सप्ताहांत के लिए बहुत अच्छा मौसम पूर्वानुमान नहीं दिया है, क्योंकि 9 से 12 मार्च के बीच जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में और अधिक बर्फबारी होने की उम्मीद है. अधिक बर्फबारी के कारण, हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा, जिससे कश्मीर के ऊपरी इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों की रातों की नींद उड़ जाएगी.