पेरिस, 14 May : मौसम में बढ़ोत्तरी के साथ ही देश-दुनिया से तेज भारी आंधी-तूफान से जुड़ी खबरें आ रही हैं। कई देशों से मौसम गर्म होने के साथ ही आंधी और तूफान की खबरें आ रही हैं। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात और ब्राजील में मूसलाधार बारिश और भारी बाढ़ तक, अब तक उल्लेखनीय मौसम घटनाएं हुई हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे एशिया में, थाईलैंड में भीषण गर्मी के कारण मौतें हुई हैं और थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, मालदीव और म्यांमार में रिकॉर्ड तोड़ तापमान है। कई अफ्रीकी देशों में भी भीषण तापमान का सामना करना पड़ रहा है। माली के हेरेरा शहर में तापमान 47.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
बारिश से ब्राजील में भारी तबाही
भारी बारिश के बाद अचानक आई बाढ़ से दक्षिणी ब्राजील में भारी तबाही मची है। बाढ़ के बीच देश के प्रभावित हिस्से में बिजली गिरने और तेज हवाओं के कारण बारिश फिर से लौट आई है, जिससे पहले से ही गंभीर स्थिति और खराब हो गई है। इस आपदा ने कम से कम 100 व्यक्तियों की जान ले ली है। 163,000 से अधिक लोग शरण की तलाश में हैं, 130 व्यक्ति लापता हैं, और 230,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
संयुक्त अरब अमीरात में बाढ़ से तबाही
संयुक्त अरब अमीरात में 75 सालों बाद भारी बारिश से तबाही मची है। जिससे प्रमुख राजमार्गों पर बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है और दुबई में कारें फंस गईं। दुबई में भारी बारिश होने की वजह से सड़कों पर बड़े पैमाने पर पानी जमा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त केंद्र दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ानें बाधित रहीं। इसके अतिरिक्त, लगभग उसी समय ओमान में भारी बाढ़ ने 18 व्यक्तियों की जान ले ली।
ऐसे में दुनिया के पर्यावरण विशेषज्ञों ने आकलन किया है कि धरती का औसत तापमान कितना बढ़ने पर क्या फर्क पड़ेगा? इसके लिए उन्होंने औद्योगिक क्रांति से पहले के तापमान को बेंचमार्क माना है। ब्रिटेन के एक्सटर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर कॉक्स ने कहा, “तापमान बढ़ने का असर तब नजर आएगा, जब यह 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। हालांकि, असर शुरू हो गया है।”
वहीं, फ्रांस के आईडीडीआरआई पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉक्टर हेनरी वैजमैन ने कहा है कि 1 डिग्री सेल्सियस के दसवें हिस्से के बढ़ने पर भी असर साफ दिख रहा है। दुनिया में हीटवेव और तूफानों की संख्या और तीव्रता बढ़ेगी।
जानें क्या कह रहे हैं दुनिया के मौसम वैज्ञानिक?
- 1.5 डिग्री सेल्सियस – वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया में हीटवेव और तूफानों की तीव्रता और संख्या बढ़ेगी। कोरल रीफ खत्म होने लगेंगे। ग्लेशियर्स और ऐसी ठंडी जगहें जहां साल भर बर्फ जमी रहती है, पिघलनी शुरू हो जाएंगी।
- 2 डिग्री सेल्सियस – दुनिया में हीट वेव वाले इलाके तेजी से बढ़ेंगे। जिन इलाकों में पहले से हीट वेव आते रहे हैं, वहां ये 200 गुना तक ज्यादा हो जाएंगे। बाढ़ से होने वाले नुकसान दोगुने हो जाएंगे।
- 2.7 डिग्री सेल्सियस – दुनिया के 200 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ेगा। कई इलाकें, वीरान हो जाएंगे। कुछ इलाकों में आबादी बोझ बन जाएगी।
- 3 डिग्री सेल्सियस – चीन का शंघाई, ब्राजील का रियो डि जेनेरियो, अमेरिका का मियामी और नीदरलैंड्स का हेग जैसे कई बड़े शहर समंदर में डूब जाएंगे। लोगों को नई जगह बसाना होगा।
- 3 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा – दुनिया में रेफ्यूजी समस्या बन जाएंगे। खाने और पानी की कमी हो जाएगी। कीमतें आसमान छूने लगेंगी। मार्च 2024 में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन का रिकॉर्ड इस साल मार्च में धरती पर सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्ज का रिकॉर्ड बना। धरती पर एक महीने में 4.7 पीपीएम कार्बन उत्सर्जन हुआ।