श्रीनगर , 19 Mar : लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच वाकयुद्ध ने पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) और आईएनडीआईए की तथाकथित एकता की वास्तविकता को पूरी तरह उजागर कर दिया है। विशेषकर अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतभेद से नेकां-पीडीपी की साख पर असर होगा।
दूसरी तरफ भाजपा यहां सरकार की नीतियों, पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा व आरक्षण को भुनाने की कोशिश करेगी। जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त, 2019 से पहले की संवैधानिक स्थिति की बहाली के एजेंडे के साथ ही नेकां और पीडीपी ने कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर पीएजीडी का गठन किया था। नेकां और पीडीपी ही पीएजीडी के दो मजबूत स्तंभ हैं।
तीन सीटों को लेकर पीएजीडी में फंसा पेंच
वहीं, आईएनडीआईए का गठन कांग्रेस ने पूरे देश में भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने के लिए किया था। नेकां और पीडीपी दोनों ही इसके घटक हैं। आईएनडीआईए और पीएजीडी के लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने की उम्मीद है, लेकिन नेकां ने प्रदेश की कुल पांच में से तीन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने और दो सीटें सिर्फ कांग्रेस के लिए छोड़ने का एलान कर गठबंधन के अस्तित्व पर सवाल पैदा कर दिया है। पांच संसदीय सीटों में से दो बारामुला-कुपवाड़ा और पुलवामा-श्रीनगर-गांदबल कश्मीर संभाग में हैं, वहीं जम्मू-रियासी और ऊधमपुर-कठुआ-डोडा संसदीय सीट जम्मू संभाग में हैं।
भाजपा ने साल 2014 और 2019 में जीती जम्मू संभाग की दोनों सीटें
अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पीरपंजाल पर्वत शृंखला के दोनों तरफ कश्मीर और जम्मू संभाग में फैली हुई है। भाजपा ने वर्ष 2014 और 2019 में जम्मू संभाग की दोनों सीटें जीती हैं। नेशनल कान्फ्रेंस ने पिछले संसदीय चुनाव में कश्मीर की तीनों सीटें जीती थीं। उससे पूर्व 2014 के संसदीय चुनाव में कश्मीर की तीनों सीटों पर पीडीपी विजयी रही थी।
उम्मीद की जा रही थी कि पीएजीडी और आइएनडीआइए के मिलकर चुनाव लड़ने से भाजपा के लिए स्थिति मुश्किल होगी। उसके लिए कश्मीर संभाग में या अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पर खाता खोलना असंभव हो जाएगा। नेकां-पीडीपी के बीच जिस तरह से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ है, उससे भाजपा को लाभ पहुंच सकता है।
नेकां और पीडीपी एक ही म्यान में नहीं रह सकती
कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि जिस तरह से पीडीपी नेताओं ने नेकां को कश्मीर में आतंकी हिंसा, कश्मीर में लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है और जिस तरह से नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण के लिए पीडीपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उसे तीन नंबर की पार्टी बता रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इन बातों से दोनों दलों के समर्थकों के एक दूसरे के प्रति खटास बढ़ रही हैं। इससे आम मतदाता भी इनसे कहीं न कहीं विमुख होगा। दोनों का अपना अलग-अलग राजनीतिक एजेंडा और प्राथमिकताएं हैं। दोनों एक म्यान में नहीं रह सकती।