
24 Oct : अमेरिका द्वारा रूस की शीर्ष तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद भारतीय रिफाइनर अब रूस से तेल आयात में बड़ी कटौती करने की तैयारी कर रहे हैं और विकल्प तलाश रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया गया तो यह वैश्विक तेल बाजार को हिला सकता है, क्योंकि रूस के 3.1 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mbd) तेल निर्यात का लगभग एक-तिहाई भारत को जाता है। यह आपूर्ति बाधित होने से अंतरराष्ट्रीय कीमतें आसमान छू सकती हैं और भारत, चीन, तुर्की जैसे देशों को नए स्रोतों की तलाश करनी पड़ेगी।
अमेरिकी प्रतिबंधों से बढ़ी दिक्कतें
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) ने बुधवार को इन प्रतिबंधों की घोषणा की, जो मॉस्को पर दबाव बढ़ाने और यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते की दिशा में रूस को मजबूर करने की रणनीति का हिस्सा है।
प्रतिबंधों के तहत, Rosneft की दो संयुक्त परियोजनाएं — Vankorneft और Taas-Yuryakh भी शामिल हैं, जिनमें भारतीय कंपनियों — ONGC, Oil India, BPCL और Indian Oil — की क्रमशः 49.9% और 29.9% हिस्सेदारी है। इन भारतीय कंपनियों के 1 अरब डॉलर से अधिक लाभांश (डिविडेंड) रूस में फंसे हुए हैं, जिन्हें वे प्रतिबंधों के कारण भारत वापस नहीं ला पा रहे हैं।
रिफाइनरी अधिकारियों ने कहा- अब विकल्प तलाशने होंगे
प्रतिबंधों के मुताबिक, कंपनियों को 21 नवंबर तक सभी भुगतान और तेल की डिलीवरी पूरी करनी होगी।
इसका मतलब है कि भारत अब Rosneft और Lukoil से नई खेप नहीं ले सकेगा, क्योंकि रूसी तेल भारत पहुंचने में आमतौर पर एक महीना लगता है। इससे नवंबर और दिसंबर की खेप रद्द करनी पड़ सकती है और भारत को करीब 10 लाख बैरल प्रतिदिन के वैकल्पिक स्रोत तलाशने होंगे। सरकारी रिफाइनर अब पश्चिम एशिया, अमेरिका, और ब्राज़ील से अतिरिक्त सप्लाई की संभावना देख रहे हैं।
निजी कंपनियों के लिए बड़ा झटका
हालांकि सरकारी कंपनियों पर असर सीमित रहेगा, लेकिन Reliance Industries और Nayara Energy को भारी झटका लग सकता है।
- Reliance अपने लगभग 50% कच्चे तेल की जरूरत रूस से पूरी करती है।
- Nayara Energy लगभग पूरी तरह रूस पर निर्भर है।
भुगतान सबसे बड़ी समस्या है। बैंक अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ऐसे लेन-देन करने से बचेंगे।





