जम्मू, 27 मई: सीमा सुरक्षा बल ने मंगलवार को कहा कि उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू सीमांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर पाकिस्तानी रेंजर्स की अकारण गोलीबारी और गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए 76 पाकिस्तानी सीमा चौकियों और 42 अग्रिम रक्षा ठिकानों (एफडीएल) को निशाना बनाया तथा तीन आतंकवादी लांच पैड नष्ट कर दिए।
अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ की यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा 60 भारतीय चौकियों और 49 अग्रिम ठिकानों पर भारी गोलीबारी और गोलाबारी करने के बाद की गई, जिसमें कथित तौर पर 40-50 आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के प्रयास को कवर प्रदान किया गया।
बीएसएफ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) चित्रपाल सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया, “पाकिस्तान ने हमारी 60 सीमा चौकियों और 49 अग्रिम रक्षा ठिकानों पर गोलीबारी की। जवाब में हमने उनकी 76 चौकियों और 42 एफडीएल पर गोलीबारी की।”
सिंह ने कहा कि सुंदरबनी सेक्टर के निकट पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा संचालित एक प्रमुख आतंकी लॉन्च पैड को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा, “उस क्षेत्र से अब कोई हलचल नहीं देखी जा रही है।”
बीएसएफ के जम्मू फ्रंटियर के महानिरीक्षक शशांक आनंद ने कहा कि खुफिया जानकारी से पुष्टि हुई है कि कई लॉन्च पैडों पर हमला किया गया और सटीक हमलों के दौरान कई आतंकवादी और पाकिस्तानी रेंजर्स मारे गए।
आईजी ने कहा, “चिकन नेक क्षेत्र के सामने स्थित लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्च पैड को 9-10 मई की रात को एक विशेष हथियार प्रणाली का उपयोग करके नष्ट कर दिया गया।” उन्होंने कहा कि लोनी, मस्तपुर और छब्बरा में तीन लॉन्च पैड नष्ट कर दिए गए।
उन्होंने कहा, “हम अभी भी अपने साझेदार एजेंसियों के साथ समन्वय करके कुल क्षति का आकलन कर रहे हैं। तीन लॉन्च पैड और कई चौकियां नष्ट हो गईं। रेंजर्स ने कई पाकिस्तानी गांवों को खाली करा लिया है।”
उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद बीएसएफ और सेना के जवानों को राजौरी और पुंछ सहित संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया, जबकि सीमा बल ने जम्मू, सांबा और कठुआ में अपनी अग्रिम मौजूदगी मजबूत की।
आनंद ने कहा, “22 अप्रैल के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने अग्रिम चौकियों पर अपनी मौजूदगी कम कर दी, लेकिन बीएसएफ ने आक्रामक तरीके से अपना दबदबा बनाए रखा। महिला कर्मियों सहित हमारे जवान पूरी ताकत से डटे रहे और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहे।”
डीआईजी इंद्रेश्वर ने बताया कि 8 मई की रात को बीएसएफ की निगरानी प्रणाली ने सियालकोट के पास 40-50 आतंकवादियों के एक समूह की गतिविधि का पता लगाया। उन्होंने कहा, “हमने उनकी घुसपैठ की कोशिश को विफल करने के लिए सांबा क्षेत्र में एक पूर्वव्यापी हमला किया।”
पाकिस्तानी रेंजर्स की प्रतिक्रिया को “सैनिकों से अप्रत्याशित” बताते हुए डीआईजी ने कहा, “वे अपनी चौकियों से भाग गए। वे इतनी कड़ी प्रतिक्रिया के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन हमें उम्मीद है कि वे भविष्य में अपने आतंकी बुनियादी ढांचे को फिर से स्थापित करेंगे।”
आईजी ने कहा कि हतोत्साहित दुश्मन ने अगली रात अखनूर सेक्टर में गोलाबारी की, जिसके बाद बीएसएफ ने भी जवाबी कार्रवाई की। “9 और 10 मई की रात को हमने लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्च पैड को निशाना बनाया और सीमा से मात्र तीन किलोमीटर दूर एक को नष्ट कर दिया।”
सुंदरबनी के डीआईजी वीरेंद्र दत्ता ने बताया कि बीएसएफ को खुफिया जानकारी मिली थी कि 18-20 आतंकवादी घुसपैठ की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने दुश्मन की चौकियों को घेरकर रणनीतिक मोर्टार हमला किया। कई पाकिस्तानी चौकियां नष्ट कर दी गईं।”
आईजी ने बीएसएफ महिला कर्मियों की भी उनके साहस के लिए प्रशंसा की। आईजी ने कहा, “हमारी महिला सैनिकों के पास बटालियन मुख्यालय में स्थानांतरित होने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने अग्रिम चौकियों पर ही रहना चुना। सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी और अन्य महिला कांस्टेबलों ने बहादुरी के साथ दुश्मन की गोलीबारी का सामना किया।”
आईजी ने पाकिस्तान द्वारा कम ऊंचाई पर हमलों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “10 मई की सुबह पाकिस्तान ने हमारी चौकियों को निशाना बनाते हुए कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले ड्रोन भेजे। हमारे जवानों ने उनका मुकाबला किया, लेकिन एक ड्रोन ने एक चौकी पर अपना पेलोड गिरा दिया, जिससे बीएसएफ के दो जवान और सेना का एक जवान शहीद हो गया।”
उन्होंने बताया कि जवाबी कार्रवाई में बीएसएफ ने सियालकोट क्षेत्र में पाकिस्तानी बंकरों, निगरानी उपकरणों और संचार टावरों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर जवाबी हमला किया।
आईजी ने कहा, “हमारे शहीदों के सम्मान में हम दो चौकियों का नाम उनके नाम पर रखेंगे। सांबा में एक चौकी का नाम ‘सिंदूर’ रखा जाएगा।”
सीमा पार सफेद झंडे की रिपोर्टों पर आईजी ने कहा, “डीजीएमओ स्तर पर बातचीत हुई है। निचले स्तर पर कोई बातचीत नहीं हुई। हम उनकी गतिविधियों पर करीब से नजर रख रहे हैं। कोई भी फैसला उनके भविष्य के आचरण पर आधारित होगा।”
उन्होंने एजेंसी समन्वय के महत्व पर बल दिया और कहा, “सभी सुरक्षा एजेंसियां, बीएसएफ, सेना, अर्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर काम कर रही हैं। खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान नियमित और मजबूत है।”
आईजी ने बीएसएफ की वीरता की विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “1965 के युद्ध से लेकर ऑपरेशन पराक्रम और कारगिल तक बीएसएफ अग्रिम मोर्चे पर डटी रही है। ऑपरेशन सिंदूर में हमने अपनी संपत्तियों और नागरिकों की रक्षा करते हुए दुश्मन को काफी नुकसान पहुंचाया।”
“हमारी क्षेत्र प्रभुत्व रणनीति आक्रामक बनी हुई है। यहां तक कि जब पाकिस्तानी रेंजर्स पीछे हट गए, तब भी बीएसएफ ने लाइन पर डटे रहे – पुरुष और महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर सीमा की रक्षा करते रहे।”
महानिरीक्षक ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादी बुनियादी ढांचे और पाकिस्तानी ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया।
आईजी ने बांग्लादेश युद्ध, कारगिल और ऑपरेशन पराक्रम में बीएसएफ की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, “बहादुरी की ये सभी वीरतापूर्ण कहानियां हमारे सैनिकों और योद्धाओं के बलिदान से जुड़ी हुई हैं।”
उन्होंने कहा, “अब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने अत्यंत बहादुरी के साथ दुश्मन को भारी क्षति पहुंचाई है।”
