नई दिल्ली , 7 Feb : भारत के मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांच साल के बाद रेपो दर में 0.25% की कटौती की है, जिससे रेपो दर 6.25% हो गई है। आरबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया था।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि हाल ही में आरबीआई की बैठक में आर्थिक विकास और वैश्विक वित्तीय स्थिति पर चर्चा की गई, जिसके बाद रेपो दर को 6.50% से घटाकर 6.25% करने का निर्णय लिया गया। इस फैसले के बाद होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई कम होने की उम्मीद है, जिससे जनता को आर्थिक लाभ होगा।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ रही है, जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी ब्याज दरों में कटौती कर रहा है। बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं, जिसका असर भारतीय रुपए पर भी पड़ रहा है।
रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले वर्ष यह 8.2% थी। गवर्नर के अनुसार विनिर्माण और खनन क्षेत्र में सुधार देखा गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ी है।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में मुद्रास्फीति की दर 4.7% रहने की संभावना है तथा भविष्य में इसमें और कमी आने की उम्मीद है। आरबीआई की इस नीति का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता बनाए रखना और उपभोक्ताओं पर ऋण का बोझ कम करना है।
ब्याज दरों में कटौती के बाद जनता को सबसे बड़ा लाभ ऋण की किस्तों में कमी के रूप में होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों पर ईएमआई कम हो जाएगी, जिससे लोगों की वित्तीय मुश्किलें कम होंगी और बाजार में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।