नई दिल्ली , 3 May : भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भौगोलिक विविधताओं वाले देश में कहीं रेगिस्तान है, तो कहीं घने जंगल। हिमालय से लेकर समंदर तक हमारा देश विविधताओं से भरा है। लोकसभा चुनाव में लोकतंत्र की जीवंतता तब नजर आती है, जब दूरदराज में बने मतदान केंद्रों पर मतदान को लेकर मतदाताओं में उत्साह दिखाई देता है। गिर के घने जंगलों से लेकर पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों तक कई पोलिंग बूथ बड़े ही दुर्गम इलाकों में बने हुए हैं। आइए जानते है देश के 10 ऐसे ही दूरस्थ मतदान केंद्रों के बारे में।
गिर के जंगल, गुजरात
गुजरात में तीसरे चरण में सभी सीटों पर वोट डाले जाएंगे। यह बहुत सघन जंगल है, जो पूरी दुनिया में एशियाई शेरों के लिए जाना जाता है। गिर के इसी जंगल में एक अनोखा मतदान केंद्र बनाया गया है, जहां सिर्फ एक मतदाता ही वोट डालता है। इस शख्स का नाम साधु महंत हरिदासजी उदासीन है। वे वोट डालने के अधिकार से वंचित न रह जाएं, इसलिए सिर्फ उनके लिए गिर के जंगल में मतदान केंद्र बनाया गया है। चुनाव आयोग का यही सिद्धांत है कि हर वोट मायने रखता है। क्योंकि ‘ये लोकतंत्र है, वोट हमारा मंत्र है।’
टशीगंग, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल के पहाड़ों के बीच स्थित टशीगंग में भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ है। बर्फीले मौसम वाले इस दुर्गम इलाके में भी लोगों में वोटिंग को लेकर उत्साह कम नहीं रहता है। टशीगंग समुद्र से 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां वोट डालने के लिए स्थानीय लोगों की एक छोटी आबादी है। ये लोग बेहद दुर्गम यानी उबड़ खाबड़ इलाकों से होकर लंबी दूरी तय करके मतदान के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचते हैं। हिमाचल में अंतिम चरण में मतदान होना है।
नोन्ग्रिआत, मेघालय
मेघालय का लिविंग रूट ब्रिज दुनियाभर में अपनी प्राकृतिक बनावट के लिए जाना जाता है। पूर्वी खासी पहाड़ियों के बीच स्थित यह इलाका बेहद चुनौतीपूर्ण है। चुनावकर्मियों को यहां पोलिंग बूथ के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है। यहां खड़ी ढलाने हैं, जहां से होकर गुजरना चुनौतीपूर्ण है। कई लिविंग रूट ब्रिज से गुजरकर यहां मतदान केंद्र बनाना होता है। ये चुनाव अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आसान नहीं है। लेकिन इस कठिन कार्य को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाता है।
तांगनीकोट और गुरमईगुडा, ओडिशा
ओडिशा में इंद्रावती नदी के इलाके में बना तांगनीकोट और गुरमईगुडा ऐसा इलाका है, जहां लोगों को मुख्यभूमि पर बने मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए जलाशय को पार नहीं करना पड़ता है। क्योंकि मतदाताओं के लिए यहां नए पोलिंग बूथ इंद्रावती नदी रिजर्व एरिया में ही बनाए गए हैं, ताकि लोगों को लंबी दूरी तय न करना पड़े। जब तक यहां पोलिंग बूथ नहीं बने थे, लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था और 15 किलोमीटर दूर जाकर वोट देना होता था। अब स्थिति बदल गई है। यहां बिजली आपूर्ति भी व्यवधान डालती है। इसलिए यहां मतदान केंद्रों पर जनरेटर की व्यवस्था भी की गई है।
माजुली टापू, असम
माजुली द्वीप नदी पर बना दुनिया का सबसे बड़ा टापू है। यह ब्रह्मपुत्र नदी पर बना है। यहां कई मतदान केंद्र बनाए गए हैं। भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से ये पोलिंग बूथ काफी अहम हैं। माजुली द्वीप जोरहट लोकसभा सीट का हिस्सा है। जब भी चुनाव होते हैं, चुनाव अधिकारी और कर्मचारी मोटर बोट से ईवीएम और दूसरी चुनावी सामग्रियां इन मतदान केंद्रों तक लाते हैं। चूंकि यह इलाका मौसमी बाढ़ की वजह से काफी कठिन इलाका है, ऐसे में यहां मतदान केंद्र को मैनेज करना आसान काम नहीं है।
डुगोंग क्रीक, अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह
भारत की मुख्य भूमि से सुदूर अंडमान आईलैंड डुगोंग क्रीक पर पोलिंग बूथ बनाया गया है, जिससे कि यहां ‘शिंप’ जनजाति के लोग मतदान कर सकें। इस जनजाति में मतदान के प्रति प्रोत्साहन के उद्देश्य से यह पोलिंग बूथ बनाया गया है। यह इलाका बाहरी लोगों के लिए वर्जित है। आम दुनिया से कटी रहने वाली इस जनजाति के लोग भी वोट कर सकें, इसके लिए यहां बना पोलिंग बूथ काफी अहमियत रखता है।
मालोगम, अरुणाचल प्रदेश
भारत के सुदूर पूर्व के राज्य अरुणाचल प्रदेश के मालोगम गांव में एकमात्र महिला के लिए मतदान केंद्र बनाया गया है। इस मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए पटकाई पहाड़ों की श्रृंखलाओं में 44 किलोमीटर की कठिन दूरी को पार करना होता है। इसके बावजूद यह मतदान केंद्र न सिर्फ लोकतंत्र की भावना का, बल्कि निर्वाचन टीम की जीजिविषा और उनके समर्पण की अद्भुत मिसाल पेश करता है।
नागाडा, ओडिशा
ओडिशा के दूरस्थ गांव जाजपुर जिले का नगाडा घने जंगलों और पहाड़ों के बीच सुकिंडा घाटी में स्थित है। यहां जुआंग जनजातीय इलाके में मतदान केंद्र बनाया गया है, जो कि देश की सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक है। इस मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए जंगलों और पहाड़ी दुर्गम इलाकों को पार करना होता है। इस दुर्गम इलाके में बने मतदान केंद्र के लिए ईवीएम और दूसरी चुनाव सामग्री पहुंचाना निर्वाचन टीम के लिए कठिन टास्क है। फिर भी यह मतदान केंद्र इसलिए बनाया है कि देश की पिछड़ी जाति ‘जुआंग’ भी लोकतंत्र के महायज्ञ में वोट की आहूति दे सके।