श्रीनगर, 18 Apr : (Jammu Kashmir Lok Sabha Election Hindi News) पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि वह प्रतिद्वंद्वी दलों के साथ आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होने के बजाय जम्मू-कश्मीर के लोगों की गरिमा, उसकी भूमि और अन्य संसाधनों पर चल रहे हमले को उजागर करेंगी। मुफ्ती ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में पत्रकारों से बातचीत में कहा-हमारा उद्देश्य दोषारोपण का खेल खेलना नहीं है। हम बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं।
हमारी गरिमा पर हर दिन हमला-पीडीपी अध्यक्ष
हमारे संसाधनों, हमारी भूमि और हमारी गरिमा पर हर दिन हमला किया जा रहा है। मुझे लगता है कि हमें इसके बारे में बात करनी चाहिए। मैं इसमें नहीं जाना चाहता कि (जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री) उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) या किसी और ने कहा है। पीडीपी अध्यक्ष दक्षिण कश्मीर जिले में चुनाव प्रचार कर रही थीं। जो अनंतनाग-राजौरी लोकसभा (Anantnag-Rajouri Lok Sabha Seat) क्षेत्र का हिस्सा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ मजबूरी में उतरी पीडीपी-महबूबा मुफ्ती
उनका मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद समेत अन्य उम्मीदवारों से है। कुलगाम के कुंड में एक रैली को संबोधित करते हुए मुफ्ती ने दोहराया कि उनकी पार्टी को नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
महबूबा (Mehbooba Mufti) ने लोगों से पूछा क्या पीडीपी खत्म हो गयी है? मैं जब मुंबई में (इंडिया ब्लॉक) बैठक के लिए गई थी। (नेकां अध्यक्ष) डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) भी वहां थे और मैंने उनसे कहा कि सीट बंटवारे पर वह जो भी फैसला करेंगे। हम उसे स्वीकार करेंगे क्योंकि वह हमारे बड़े हैं। उन्होंने (एनसी) फैसला किया कि पीडीपी खत्म हो गयी है।
एनसी ने हमें नीचा दिखाने का किया काम- मुफ्ती
उन्होंने आगे कहा कि अगर फारूक और उमर को केवल एनसी के उम्मीदवार ही खड़े करने थे तो उन्हें मुझे फोन करना चाहिए था और मुझे बताना चाहिए था कि यह जम्मू-कश्मीर के हित में है क्योंकि एनसी अपना नजरिया बेहतर तरीके से रख सकती है। लेकिन उन्होंने हमें नीचा दिखाना शुरू कर दिया।
पीडीपी नेता (PDP News) ने फारूक अब्दुल्ला पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा उन्होंने कहा है कि पीडीपी अब चौथे या पांचवें स्थान पर है और पार्टी खत्म हो गई है। महबूबा ने कहा कि कश्मीरियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का सही तरीके से संसद में प्रतिनिधित्व करने में समर्थ एक योग्य उम्मीदवार के चुनाव के लिए है। यही मतदाताओं को सबसे पहले ध्यान में रखना चाहिए।