नई दिल्ली , 2 Apr : नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से नौकरशाह जगमोहन 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे। उनकी छवि एक सख्त प्रशासक की थी। दिल्ली को संवारने में अग्रणी भूमिका निभा चुके जगमोहन का सामना तत्कालीन सांसद एवं फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना से था।
नई दिल्ली से हैट्रिक लगाने वाले एकमात्र नेता
जगमोहन एक मात्र राजनेता हैं, जो नई दिल्ली सीट से लगातार तीन बार सांसद रहे। दिल्ली के लोग जगमोहन की कुशलता देखते और जानते थे, इसलिए कांग्रेस के टिकट पर उतरे राजेश खन्ना को छोड़ असली नायक को चुनने का फैसला किया। खन्ना करीब 58 हजार मतों से हारे थे।
उन्हें नौकरशाह, राज्यपाल और मंत्री के रूप में सेवा के लिए पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। डीडीए उपाध्यक्ष रहते हुए दिल्ली का सुंदरीकरण कराया।
कभी संजय गांधी के करीबी रहे जगमोहन ने वर्ष 1982 में दिल्ली के एलजी के रूप में एशियाई खेलों और गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए दिल्ली को तैयार किया था। वह दो बार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी रहे।
कांग्रेस के दिग्गज को नहीं जमाने दिए पांव
वर्ष 1998 और 1999 के लोस चुनाव में जगमोहन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता आरके धवन को हराया। जगमोहन अपनी तीनों जीत में 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किए।
वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनके मंत्रिमंडल के अंतर्गत संचार, शहरी विकास और पर्यटन सहित विभिन्न मंत्रालयों में कार्य किया, लेकिन वर्ष 2004 के लोस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अजय माकन ने 12 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। मई 2021 में उनका निधन हो गया।
जगमोहन से चिढ़ती थीं बेनजीर भुट्टो
पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो जगमोहन से इतना चिढ़ी हुई थीं, कि अपने भाषणों में उन्हें भागमोहन बनाने की धमकी देती रहती थीं। अडिग जगमोहन अपने अंदाज में रहे और भाजपा के टिकट पर नई दिल्ली के चुनाव रण में उतरे तो उनकी ख्याति भी साथ उतरी।