जम्मू , 22 Feb : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही में हुई रैली ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत दे दिया है। उम्मीद के विपरीत गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय ने रैली को लेकर विशेष दिलचस्पी दिखाई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की राजनीतिक ताकत का एक बड़ा आधार इन्हीं दो समुदायों का वोट बैंक है।
रैली के बाद दोनों दलों को अपनी रणनीति नए सिरे से तय करने पर विचार करना पड़ रहा है। उनके लिए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार तय करना तक मुश्किल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में जुटी गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के लोगों की भीड़ के अलावा दोनों समुदायों के कई वरिष्ठ नेता, जो पीडीपी-नेकां से संबध रखते हैं, वे भी रैली में मौजूद थे।
इससे भाजपा अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में अपनी जीत दर्ज करने की उम्मीद को लेकर उत्साहित है, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में ये दोनों समुदाय किसी की भी जीत सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके अलावा उत्तरी कश्मीर में भी पहाड़ी व गुज्जर समुदाय का अच्छा खासा वोट है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जम्मू संभाग में जिन सीटों पर हार का मुंह देखा था, उनमें से अधिकांश गुज्जर और पहाड़ी प्रभुत्व वाली थीं।
भाजपा को पांच में से तीन सीटें जीतने की उम्मीद
कश्मीर में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। मंगलवार को पीएम की रैली में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय और पहाड़ी जातीय समुदाय की भागीदारी को देखते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में यहां पांच में से कम से कम तीन सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है। जम्मू और ऊधमपुर-डोडा-कठुआ सीट पर भाजपा पहले ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आती है। इसके साथ ही वह विधानसभा चुनाव में अब जम्मू में सभी 43 और घाटी में भी छह से सात सीटों की उम्मीद लगाए है, जिससे वह अपने बूते जम्मू कश्मीर में सरकार बना सके। प्रदेश में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, जिनमें 47 कश्मीर में हैं।
पहाड़ी और गुज्जर-बक्करवाल समुदाय ने रैली को लेकर दिखाई दिलचस्पी
नेकां, पीडीपी और कांग्रेस में हलचल प्रधानमंत्री की रैली के बाद से नेकां और पीडीपी के कई वरिष्ठ नेता विशेषकर जो गुज्जर-बक्करवाल समुदाय और पहाड़ी जातीय समुदाय से संबंध रखते हैं, वे भाजपा के साथ संबंध बनाने को तैयार बैठे हैं। कुछ लोग चाहते हैं कि वे लोकसभा या विधानसभा चुनाव निर्दलीय आधार पर लड़ें और भाजपा उन्हें समर्थन दे तो वह भाजपा की सरकार बनाने में भी सहायक रहेंगे।
दूसरी तरफ नेकां के एक वरिष्ठ गुज्जर नेता ने कथित तौर पर अपनी पार्टी के लिए अनंतनाग-राजौरी सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर अभी तक सहमति नहीं दी है। वहीं पीडीपी संस्थापकों में शामिल रहे पहाड़ी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग खुद को पीडीपी से अलग बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में पुल बांध रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, वह चाहते हैं कि उनकी पत्नी सफीना बेग को उत्तरी कश्मीर में भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए या फिर भाजपा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करे। कांग्रेस के जहांगीर मीर भी केंद्र सरकार के प्रति अब काफी सहिष्णुता दिखा रहे हैं। इससे नेकां और पीडीपी के साथ कांग्रेस में जबरदस्त हलचल मची हुई है।
महबूबा ने बुलाई बैठक, फारूक जनाधार बचाने में जुटे
बताया जा रहा है कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मफ्ती ने अपनी पार्टी के गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी जातीय समुदाय से संबंधित वरिष्ठ नताओं को बैठक के लिए बुलाया है। वह अगले चंद दिनों में राजौरी-पुंछ, बारामुला व दक्षिण कश्मीर के उन इलाकों का दौरा करने पर विचार कर रही हैं, जहां इन दोनों समुदायों का प्रभाव है।
नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय में अपने जनाधार को बचाए रखने के लिए संबंधित समुदायों के युवा नेताओं को आगे बढ़ाने और उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देने के लिए पार्टी की कोर समिति को कहा है।