
बांग्लादेश , 17 Nov : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख को फांसी मिलने के बाद पहला बयान सामने आया है। शेख हसीना ने जुलाई-अगस्त 2025 की हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और अंतरिम सरकार को चुनौती दी कि वे इन मामलों को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) तक ले जाए।
हिंसा को बताया त्रासदी, सरकार का बचाव
शेख हसीना ने कहा कि जुलाई-अगस्त 2025 में देश में हुई हिंसा एक त्रासदी थी। उन्होंने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि उनकी सरकार का मूल उद्देश्य स्थिति को शांत करना था न कि किसी भी तरह से नागरिकों पर हमला करना। उन्होंने बताया कि 18 जुलाई 2024 को उनकी सरकार ने एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में हिंसा की जांच के लिए एक समिति बनाई थी लेकिन यूनुस सरकार ने सत्ता में आते ही इस जांच को तुरंत बंद करा दिया। इस जांच में हिंसा में शामिल अराजक तत्वों की भूमिका की पड़ताल भी होनी थी।
अविश्वासनीय साक्ष्य और बदले की राजनीति
हसीना ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के अभियोजकों द्वारा उनके खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे सबूतों पर भी सवाल उठाए।उन्होंने दावा किया कि ICT के अभियोजकों के पास उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी सबूत पेश किए जा रहे हैं वे अधूरे, संदर्भ से बाहर या अविश्वसनीय हैं। हसीना ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ICT का मूल उद्देश्य 1971 के युद्ध अपराधियों को सज़ा देना था लेकिन आज इसका उपयोग राजनीतिक बदले की कार्रवाई के लिए किया जा रहा है।
ICC जाने की खुली चुनौती
शेख हसीना ने अंतरिम सरकार को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके आरोपों में सच्चाई है तो वे उन्हें हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ले जाएं। उन्होंने दावा किया कि अंतरिम सरकार ऐसा इसलिए नहीं करेगी क्योंकि:
बरी होने का दावा: ICC उन्हें (हसीना को) बरी कर देगा।
अंतरिम सरकार की जांच: इसके साथ ही ICC अंतरिम सरकार के मानवाधिकार उल्लंघनों की भी जांच शुरू कर सकता है।







