नई दिल्ली, 4 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए पुलिस थानों में कार्यात्मक सीसीटीवी की कमी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों के हनन पर रोक लगाने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था।
गुरुवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “…हम ‘पुलिस थानों में कार्यात्मक सीसीटीवी की कमी’ शीर्षक से स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दे रहे हैं, क्योंकि ऐसी खबरें आई हैं कि इस साल के पिछले सात-आठ महीनों में पुलिस हिरासत में लगभग 11 मौतें हुई हैं।”
दिसंबर 2020 में शीर्ष अदालत ने केंद्र को सीबीआई, ईडी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सहित जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक पुलिस थाने में, सभी प्रवेश और निकास द्वारों, मुख्य द्वार, हवालात, गलियारों, लॉबी और स्वागत कक्षों के साथ-साथ हवालात के बाहर के क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि कोई भी हिस्सा खुला न रह जाए।
शीर्ष अदालत ने आगे कहा था कि सीसीटीवी सिस्टम नाइट विजन से लैस होना चाहिए और इसमें ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी होनी चाहिए और केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ऐसी प्रणालियां खरीदना अनिवार्य होगा जो कम से कम एक वर्ष के लिए डेटा भंडारण की अनुमति दें।