नई दिल्ली , 1 May : कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की है कि केंद्र सरकार पारदर्शी तरीके से अगली जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करे, इसके लिए पर्याप्त बजट आवंटित करे और एक स्पष्ट समयसीमा भी तय करे ताकि काम में देरी न हो।
गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए खड़गे ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे थे और इसके लिए देशव्यापी आंदोलन भी चलाए गए थे। उन्होंने कहा, “दो साल पहले मैंने सरकार को पत्र लिखकर मांग की थी कि जनगणना के साथ जातियों की गणना भी की जाए, लेकिन उस समय सरकार ने ऐसा करने में इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। अब जब सरकार ने यह फैसला लिया है तो यह स्वागत योग्य कदम है। हम इस प्रक्रिया में पूरा सहयोग करेंगे।”
हालांकि, खड़गे ने सरकार को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने या पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “भाजपा को जाति आधारित जनगणना के फैसले को राजनीतिक उद्देश्य के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाना चाहिए।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ जैसी पार्टियां शुरू से ही आरक्षण के खिलाफ रही हैं और अब कांग्रेस पर जाति आधारित जनगणना के पक्ष में नहीं होने का आरोप लगा रही हैं, जो पूरी तरह गलत है।
खड़गे ने कहा, “अगर हम इसके खिलाफ होते तो क्या मैं दो साल पहले पत्र लिखता? क्या हम इस मांग के पक्ष में आंदोलन शुरू करते? भाजपा केवल लोगों को गुमराह करने और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि केवल वे ही लोगों का कल्याण चाहते हैं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जाति आधारित जनगणना के लिए सरकार द्वारा अभी तक पर्याप्त धनराशि आवंटित नहीं की गई है। उनके मुताबिक, “बजट के बिना इस तरह का सर्वेक्षण करवाना संभव नहीं है। इसलिए सरकार को इसके लिए तुरंत बजट जारी करना चाहिए।”
इसके साथ ही खड़गे ने मांग की कि सरकार स्पष्ट समय की घोषणा करे ताकि जनगणना प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो। उन्होंने कहा, “यह सर्वेक्षण दो से तीन महीने या सरकार जो भी अवधि तय करेगी, उसमें पूरा हो जाना चाहिए।”
आखिर में जब उनसे पूछा गया कि क्या यह फैसला आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लिया गया है, तो उन्होंने कहा, “मैं राजनीति में नहीं जाना चाहता। हम किसी भी अच्छे कदम का स्वागत करते हैं। देश और जनता सबसे महत्वपूर्ण है। चूंकि जनता जाति आधारित जनगणना चाहती थी, इसलिए हम उनकी आवाज बने और इसकी मांग की, आंदोलन चलाया और अब हमें खुशी है कि हम सफल हुए।”