प्रयागराज , 27 Feb : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिनों तक चला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयोजन ‘महाकुंभ’ 26 फरवरी को अंतिम स्नान और ‘महाशिवरात्रि’ पर्व के उत्सव के साथ समाप्त हो गया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस आयोजन की सराहना कर रही है, लेकिन कई हिंदू धार्मिक नेताओं ने महाकुंभ की स्थिति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। ताजा बयान ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी ओयुमक्तेश्वरानंद सरस्वती का आया है, जिन्होंने महाकुंभ को लेकर सवाल उठाए हैं।
स्वामी ओयुमुक्तेश्वरानंद ने दावा किया है कि असली महाकुंभ तो पहले ही समाप्त हो चुका है और अब तक जो चल रहा है, वह ‘आधिकारिक कुंभ’ है। स्वामी ओयुमुक्तेश्वरानंद ने पहले भी महाकुंभ और इसके प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। अब एक बार फिर उन्होंने महाकुंभ पर अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समाचार एजेंसी ‘एएनआई’ की रिपोर्ट के अनुसार, शंकराचार्य ओयुमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कहते हैं, “महाकुंभ पूर्णिमा के साथ ही समाप्त हो गया, क्योंकि असली कुंभ माघ महीने में होता है।” माघ मास की पूर्णिमा के दिन सम्पूर्ण कल्पा घाटी वहां से रवाना हुई थी। “इसके बाद जो हो रहा है वह यह है कि सरकार द्वारा एक अलग कुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसका पारंपरिक कुंभ जैसा आध्यात्मिक महत्व नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि महाकुंभ के समापन के बाद योगी सरकार के कई मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने आयोजन को बड़ी सफलता बताया है। महोत्सव प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। महाकुंभ के आखिरी दिन बुधवार को रात आठ बजे तक ही 1.53 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी महाकुंभ मेले को कई मायनों में सफल बताया है।