नई दिल्ली, 12 फरवरी: दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। 1984 के सिख विरोधी दंगों के संबंध में यह उनकी दूसरी सजा है और उनके खिलाफ दो और मामले चल रहे हैं।
कुमार को 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में हुई हिंसा के दौरान जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह नामक दो व्यक्तियों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया
था। न्यायाधीश 18 फरवरी को सजा की मात्रा पर दलीलें सुनेंगे। इस मामले में अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है।
कुमार को 1-2 नवंबर, 1984 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी में राज नगर पार्ट- I क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट- II में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सजा के खिलाफ उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
ट्रायल कोर्ट द्वारा दो अन्य मामलों में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दो अन्य अपीलें वर्तमान में उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।
दिल्ली की निचली अदालतों में कुमार के खिलाफ दो मामले लंबित हैं, जिनमें से एक नवादा के गुलाब बाग स्थित एक गुरुद्वारे के पास हुई हिंसा से संबंधित है, जिसमें एक न्यायाधीश ने अगस्त 2023 में उन पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की है।
दिल्ली की एक अदालत 1984 में जनकपुरी और विकासपुरी इलाकों में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में भी सुनवाई कर रही है।
हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दंगों के संबंध में दिल्ली में 587 प्राथमिकी दर्ज की गईं, जिनमें 2733 लोग मारे गए। कुल में से, लगभग 240 प्राथमिकी को पुलिस ने “अज्ञात” बताकर बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए।
587 प्राथमिकी में से केवल 28 मामलों में दोषसिद्धि हुई, जिनमें लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।
वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न अदालतों में लगभग 20 मामले लंबित हैं।
