जम्मू , 13 Sep : जम्मू में सब्जियों की पूर्ति करने वाले खेत अब रेगिस्तान में बदल चुके है। पिछले दिनों में वर्षा के साथ आई बाढ़ के कारण आरएस पुरा-सतवारी बेल्ट की सैंकड़ों कनाल सब्जियों की खेती रेगिस्तान में बदल चुकी है।
खासकर बडेयाल-मंडाल क्षेत्र में नदी नालों के किनारे लगते खेत रेत में बदल गए हैं। इससे अबकी यहां पर सब्जी लगाकर मुनाफा कमाने के सपने पर पानी फिर गया है। खेत में ही फुट-फुट रेत उतर गई है जोकि आसानी से उठाई नहीं जा सकती। हालांकि बडेयाल बेल्ट में किसान ट्रालियां लगाकर यह रेत हटाने का प्रयास कर रहे हैं मगर यह काम इतना आसान नहीं है।
एक हजार किसानों की खेती प्रभावित
ऐसे में रेत बने खेत में अबकी सब्जी नहीं लग पाएगी। इस बेल्ट में तकरीबन एक हजार किसानों की खेती प्रभावित हुई है और इसमें से 400 किसान अब सब्जियों की खेती से महरूम हो जाएंगे। वहीं कई इलाकों में तो धान की फसल भी रेत की चपेट में आ गई है और वहां इस सीजन की फसल तो गई, वही अगली फसल कैसे लगेगी, यह चुनौती बनी हुई है। क्योंकि धान के खेत भी रेत के खेत में बदल गए हैं।
खेतों में अब हर तरफ दिख रही रेत
किसानों का कहना है कि बडेयाल -तोप बेल्ट से गुजरने वाली तवी नदी के किनारे से एक किलोमीटर दूर तक पानी ने मार की है। इसी क्षेत्र के खेतों में भर भर कर रेत है। किसानों के लिए आने वाला समय संकट से भरा रहेगा।
नुकसान का आकलन किया जा रहा
तोप के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि वर्षा के दौरान नदी के किनारे कई जगहों पर टूटते रहे और नदी का पानी दूर दूर तक रेत लेकर पहुंचता रहा और खेती को अपनी चपेट में लेता रहा। कृषि विभाग के सब-डिवीजनल एग्रीकल्चर आफिसर अरुण जराल ने कहा कि काफी नुकसान किसानों को हुआ है। इस समय राजस्व विभाग की टीमें भी मैदान में है ताकि वास्तविक नुकसान का आकलन किया जा सके।
चक हंसो, चक जिजुआ में हुआ 100 प्रतिशत नुकसान
आरएस पुरा बेल्ट के चक हंसो, चक जिजुआ में तो 100 प्रतिशत खेती की बाढ़ और वर्षा की चपेट में आकर बर्बाद हो गई। पानी सिल्ट लेकर खेतों में घुस गया और खेती को लील कर गया। चक हंसों में 121 किसान हैं जिन्होंने धान व सब्जियां लगाई हुई थी, सिल्ट की चपेट में आ गई है। किसान यहां पर सर्दियों में सब्जियों की खेती लगाता है मगर उनके सपनों पर वर्षा पानी फेर गई। खेतों में रेल और सिल्ट भरी हुई है।
जिजुआ गांव में कुल 45 कनाल भूमि सिल्ट और रेत की चपेट में
ऐसे ही चक जिजुआ गांव में कुल 45 कनाल भूमि है और सारी की सारी सिल्ट और रेत की चपेट में आ गई है। बडेयाल और तोप गांव के खेतों में भर भर पर रेत गिरी है। रामबाग, गांव व आसपास के लगते गांवों के खेत भी रेत के बेड बन गए हैं। किसानों को तो अपने ही खेत पहचानने मुश्किल हो रहे हैं।
तवी वेल्फेयर सोसायटी के वरिष्ठ सदस्य सुरेंद्र महाजन का कहना है कि रामबाग में ही 10 एकड़ भूमि पूरी तरह से नदी के पानी के बहाव में बह गई है। अब यहां पर रेत बिछ़ी पड़ी है। वहीं दूसरी ओर भगतपुरा, मकवाल कैंप, ज्वालापुरी, तोप, सुम, कोटली कोकन, फतेहपुर, देरिया, विक्रामा, कतेयाल, संगेयाल, विक्रामा, फतेह ब्राहमणा, शामका,अब्दुल्लया क्षेत्र में भी किसानों के काफी खेत बाढ़ और वर्षा से नुकसान में आ गए हैं।
दो दशक पहले आई थी ऐसी स्थिति
इस बार जो बाढ़ आई है, ने दो दशक पहले आई बाढ़ की याद दिला दी। तब भी इसी तरह से रेता खेतों में बिछ गया था और भारी तबाही हुई थी। यह कहना है सौहांजना के किसान कुलभूषण खजूरिया का। उन्होंने कहा कि बाढ़ तो 2014 में भी बहुत खतरनाक आई थी। मगर तब खेतों में इस तरह से रेत नहीं उतरी। अब नदी के दूर दूर तक के खेत रेत के हो गए हैं। ऐसे में किसानों की अब लगी खेती तो गई, अगली खेती कैसे लगेगी, यह भी संकट बना हुआ है।
सब्जियों के लिए जानी जाती है बडेयाल बेल्ट
जम्मू के बडेयाल, तोप, ज्वालापुरी, कतेयाल, मकवाल, भगतपुरा सामान्य खेती के साथ साथ सब्जियों की खेती के लिए मशहूर हैं। यहां पर किसान सब्जियां लगाकर मोटा पैसा कमाता रहा है। यहां तक कि अन्य प्रदेशों से आए कई किसान तो रीवर बेड की खेती किया करते थे।
इस तकनीक में भूमि को काट कर नालियां बनाकर बेलदार सब्जियां लगाई जाती है और सीजन से पहले ही सब्जियां तैयार कर ली जाती हैं। लेकिन यह सारी खेती रेत की चपेट में है। इन्ही दर्जन भर गांवों से बड़े तौर प सब्जियां सर्दियों में पहुंचती रही हैं। इस बार यहां के अधिकांश किसान सब्जियों की खेती से महरूम रहेगे।
स्थानीय स्तर पर यहां गोभी, बंद गोभी, शलगम, सरसो का साग, गांठ गोभी, पालक, मूली, तरबूज, ब्रोकली, भिंडी, टमाटर, गाजर, बेलदार सब्जियों में करेला, घिया, कददू, खीरा, टिंडा, मटर व तोरी की मुख्य रूप से खेती होती थी। जम्मू में स्थानीय सब्जियों की पूर्ति में इस बेल्ट से करीब 40 प्रतिशत पूर्ति होती है।