
नई दिल्ली, 9 सितंबर: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को किसी भी युद्धक्षेत्र में थल सेना की प्रधानता को रेखांकित किया और कहा कि भारत के संदर्भ में थल सेना पर प्रभुत्व जीत की मुद्रा बना रहेगा।
यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में उन्होंने किसी भी युद्ध में थल सेना के महत्व पर जोर दिया और यूक्रेन संघर्ष पर पिछले महीने अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता का उल्लेख किया।
द्विवेदी ने कहा, “जब आप दोनों राष्ट्रपतियों के बीच हुए अलास्का सम्मेलन पर गौर करेंगे तो उन्होंने सिर्फ इस बात पर चर्चा की थी कि कितनी भूमि का आदान-प्रदान किया जाना है।”
उन्होंने कहा, “भारत में, चूंकि हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा है, इसलिए जमीन ही जीत की मुद्रा बनी रहेगी।”
सेना प्रमुख की यह टिप्पणी एयर चीफ मार्शल एपी सिंह द्वारा दो सप्ताह पहले कही गई उस टिप्पणी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर वायु शक्ति की “प्रधानता” स्थापित कर दी है।
अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने युद्ध की बदलती प्रकृति और भारतीय सेना द्वारा नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के संदर्भ में परिवर्तनकारी बदलावों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।



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