राजौरी , 23 May : लोकसभा के छठे चरण का चुनाव 25 मई को होना है। इसी कढ़ी में अनंतनाग राजौरी संसदीय सीट पर भी मतदान होगा। चुनाव से पहले राजौरी पुंछ दोनों जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है। ताकि चुनाव के दौरान आतंकी किसी प्रकार की अपनी गतिविधि को अंजाम न दे सके।
चार मई को पुंछ के शाह सितार इलाके में आतंकियों ने वायु सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें एक जवान बलिदान हुआ था और चार घायल। इसके बाद फिर से आतंकी किसी वारदात को अंजाम न दे सके इसके लिए सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है।
अतिरिक्त चौकियां और सुरक्षा बल तैनात
जानकारी के अनुसार इन दोनों जिलों के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने, अतिरिक्त चौकियां और सुरक्षा बलों की मजबूत तैनाती सहित उपाय लागू किए हैं।
चुनाव के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। मतदान केंद्रों की सुरक्षा और चुनाव कर्मचारियों और मतदाताओं की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इन सुरक्षा उपायों के समन्वय का नेतृत्व जम्मू और कश्मीर में कानून और व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय कुमार कर रहे हैं। चुनावी प्रक्रिया को व्यवधानों से बचाने पर जोर दिया गया है। चुनाव आयोग ने भी महत्वपूर्ण मतदान स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षा की योजना बनाई है और चुनाव अवधि के दौरान किसी भी अप्रिय गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित किए हैं।
परिसीमन के बाद अनंतनाग राजौरी लोकसभा सीट पर पहला चुनाव हो रहा है।
इस सीट से चुनाव लड़ रहे प्रमुख उम्मीदवारों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के प्रभावशाली आदिवासी नेता मियां अल्ताफ अहमद और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के जफर मन्हास शामिल हैं। इस सीट के लिए 20 उम्मीदवारों में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के एडवोकेट मकबूल पार्रे भी मैदान में हैं।
महबूबा मुफ्ती के लिए, यह चुनाव उनके राजनीतिक प्रभाव और पीडीपी के अपने पारंपरिक गढ़ में खड़े होने की एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। अनंतनाग लंबे समय से पीडीपी का गढ़ रहा है और उनकी पारिवारिक जड़ें स्थानीय मतदाताओं के बीच उनकी अपील को बढ़ाती हैं। यहां की जीत क्षेत्र में पीडीपी की प्रासंगिकता की पुष्टि करेगी।
जनजातीय समुदायों के प्रभाव का रहा है इतिहास
नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रतिनिधित्व करते हुए मियां अल्ताफ अहमद राजनीतिक और आध्यात्मिक प्रभाव की विरासत लेकर आए हैं। मध्य कश्मीर के गांदरबल के रहने वाले मियां अल्ताफ के परिवार का जम्मू-कश्मीर में चुनावी सफलता और जनजातीय समुदायों के बीच महत्वपूर्ण प्रभाव का इतिहास रहा है। राजौरी में प्रभावशाली आदिवासी परिवारों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध निर्वाचन क्षेत्र में उनकी संभावनाओं को बढ़ाते हैं।
एक प्रमुख पहाड़ी नेता जफर मन्हास अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पहाड़ी समुदाय और सहयोगियों यानी भाजपा के समर्थन पर भरोसा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए, मन्हास का लक्ष्य क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी पार्टी के लिए जगह बनाना है।
निर्वाचन क्षेत्र के इतिहास और हालिया हमले को देखते हुए, चुनाव के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर निगरानी और राजौरी और पुंछ के अंदरूनी इलाकों में बढ़ी हुई तैनाती सहित महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय भी लागू हैं।