कुपवाड़ा , 20 May : सूर्योदय के साथ ही स्कूल में बने मतदान केंद्र के बाहर मतदाताओं की कतार भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। किसी के चेहरे पर कोई तनाव नहीं, सिर्फ अपना नुमायंदा चुनने का जोश, किसी को रोजगार चाहिए तो किसी को अपने इलाके में सड़क। अचानक मतदान केंद्र के बाहर कुछ हंगामा हो गया और कतार में लगे कई मतदाता हटे और तुरंत बाहर की तरफ दौड़े।
आगे देखा तो तिहाड़ जेल में बंद निर्दलीय प्रत्याशी इंजीनियर रशीद के स्वजन वोट डालने आ रहे थे। उनके दोनों पुत्र, पिता और भाई थे। इंजीनियर रशीद की पत्नी भी साथ थी। यह सिर्फ जेल में बंद इंजीनियर रशीद की ही नहीं, देश की विभिन्न जेलों मे बंद कश्मीरी युवाओं की रिहाई चाहते हैं और इसलिए वोट डालने आए हैं।
इंजीनियर रशीद समेत 22 उम्मीदवार मैदान में
बारामूला संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए लिए आज मतदान हो रहा है। जिला कुपवाड़ा के अंतर्गत लंगेट विधानसभा क्षेत्र इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। बारामूला संसदीय सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज और टेरर फंडिंग के आरोपित पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद समेत 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। इंजीनियर रशीद बतौर निर्दलीय मैदान में हैं और चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उनके समर्थन में हुई रैलियों में बडृर संख्या में स्थानीय युवा शामिल हुए हैं।
मेरे पिता बेकसूर हैं- अबरार रशीद
इंजीनियर रशीद के दोनों पुत्र अबरार रशीद और असरार रशीद पहली बार मतदान कर रहे हैं। अबरार रशीद ने ही जेल में बंद अपने पिता इंजीनियर रशीद के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी थी। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि हम यहां कश्मीर में आम लोगों के मानवाधिकारों के संरक्षण, उनके जान माल और सम्मान की हिफाजत के लिए ही मैदान में हैं।
मेरे पिता बेकसूर हैं और उन्होंने कश्मीर के हितों की बात की है, वह केंद्र सरकार की कश्मीर नीतियों से असहमत हैं इसलिए वह जेल में है। हमें उम्मीद है कि इस चुनाव में लोग हमारा साथ देंगे, कश्मीर के लोगों व नौजवानों ने हमारा पूरा साथ दिया है। इंशाल्लाह, जीत हमारे पिता की इंजीनियर रशीद की होगी और वह जेल से बाहर आएंगे।
संसद में भी कश्मीरियों के हक की करेंगे बात- असरार रशीद
अबरार के छोटे भाई असरार ने कहा कि मेरे पिता की जिंदगी एक खुली किताब है और उन्होंने हमेशा अपने दिल की सुनी है और कश्मीर व कश्मीरियो के मतलब की बात की है। यही कारण है कि वह जेल में और उनके चुनाव प्रचार का सारा भार यहां स्थानीय लोगो ने उठाया। हमने किसी से कुछ नहीं मांगा, हमने कहा कि हमारे पिता जब जेल से बाहर आएंगे तो वह संसद में भी कश्मीरियों के हक की बात करेंगे, वह जेलों में बंद बेकसूर कश्मीरी युवाओं की रिहाई लिए लड़ेंगे। हमारी सारी उम्मीदें लोगों पर ही टिकी हुई है।
सांजीपोरा मतदान केंद्र के पास एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता एजाज अहमद ने बताया कि यहां 1102 वोट हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि यहां शत प्रतिशत मतदान होगा। अभी सुबह दस बजे हैं और 130 वोट पड़ चुके हैं। अब्दुल रहमान और रमीज नामक दो युवकों ने कहा कि हम पहली बार वोट डालने आए हैं और हम चाहते हैं कि हमारी उम्मीदों और आकांक्षाओं की बात दिल्ली में हो, हमारा यह पहला वोट है। हम चाहते हैं कि यहां शिक्षा हो, रोजगार हो, कोई हिंसा न हो और कश्मीरियों के हक की बात हो। यही हम चाहते हैं।